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भिक्षा देदे माई भिक्षा देदे माई
तेरे द्वार पे चलके आया शिरडी वाला साँई
भिक्षा देदे माई
चिमटा कटोरा सटका लेकर भिक्षा माँगने आए
तू दे न दे फिर भी साँई आशिष दे कर जाए
भिक्षा देदे माई
देवे भिक्षा उसको साँई दस पट कर लौटाए
ना भी दे तो हरपल साँई उसका भार उठाए
भिक्षा देदे साँई
दान धरम से भोग है कटता यह बतलाने आए
एक इशारा हो जाए उसका भव से तू तर जाए
भिक्षा देदे माई
रूप बदलना आदत उसकी घर भक्तों के जाए
रोटी टुकड़ा भिक्षा मांगे असली रूप छिपाए
भिक्षा देदे माई
तेरे द्वार पे चलकर आया शिरडी वाला साँई
भिक्षा देदे माई
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Posted By : Vinod Jindal on Jul 14, 2011
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