Na sab din ek saman


साँई कैसा तेरा ये विधान न सब दिन एक समान
हे साँई बाबा हे साँई बाबा
साँई कैसा तेरा ये विधान न सब दिन एक समान

इक दिन हरिश्च्न्द्र भरे ख़ज़ाना 4
फिर माँगे कफ़न का दान
न सब दिन एक समान

इक दिन रामचन्द्र चढ़े विमाना 4
फिर हुआ उनका बनवास
न सब दिन एक समान

इक दिन बालक भयो सयाना 4
फिर जाकर जरे मसान
न सब दिन एक समान

कहत कबीरा पद निरवाना 4
जो समझे चतुर सुजान
न सब दिन एक समान

साँई कैसा तेरा ये विधान
न सब दिन एक समान

Posted By : Vinod Jindal on Jul 14, 2011


 
 

© 2025 Holydrops. All Rights Reserved