जय जय शंकर जय शिव शंकर जय सांई गोपाला
जय जय शंकर जय शिव शंकर जय सांई गोपाला
तेरे रुप अनेको बाबा तू गंगा की धारा
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
जय जय शंकर जय शिव शंकर जय सांई गोपाला
तेरे रुप अनेको बाबा तू गंगा की धारा
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
तेरे नीम की मीठी छाया ओ
लाखों भक्तों ने सुख पाया ओ
बाबा के कलश का जल जो पीते
दुख उनको फिर कभी ना छूते
लेके विभूति अंग लगा ले
हो जा तू मतवाला
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
एक भक्त की घोड़ी खो गई
बाबा से पूछा पल में मिल गई
मरते मरते वैघ वो आया
माफी माँगी जिन्दगी पायी
तू भी उसकी शरण में आजा
बाबा तुझे बुलाता
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
आयी दीवाली रोयी वो बिटिया
बाबा ने कर दी जगमग कुटिया
पानी तेल में बदल गया था ओ
फूलों से आँगन महक गया था
बाबा का जादू तू भी देख ले
बोल जोर से बाबा
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
पर्पवत से एक साधू आया
सांई को ढोंगी बतलाया
बृहमरुप देखा बाबा का
अभिमानी साधु पछताया
पाँव पकड़ कर रोने लगा वो
कहने लगा सांई बाबा
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
रोज करिश्मे आज भी होते
बाबा सबको दर्शन देते
बाबा की हंडी आज भी तपती
वर्षो से धूनी आज भी जलती
आज भी बाबा जाग रहा है
बाबा तुझे बुलाता
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
जय जय शंकर जय शिव शंकर जय सांई गोपाला
तेरे रुप अनेको बाबा तू गंगा की धारा
सांई बाबा सांई बाबा सांई बाबा ओ सांई बाबा
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